

Synopsis
एक व्यंग्यात्मक कहानी जिसमें लेखक रोजमर्रा की जिंदगी में श्रम की कीमत पर सवाल उठाता है। जब मिस्त्री और उसके परिवार ने छोटे-छोटे कामों के लिए मोटी रकम वसूली, तब लेखक ने फार्म भरने के बदले "एक अक्षर के पांच रुपये" मांगकर करारा जवाब दिया। यह व्यंग्य समाज में सेवा और मेहनत की असंतुलित कीमतों पर तीखा कटाक्ष करता है। हास्य के साथ एक गहरी सामाजिक सीख भी देता है।
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